मृण्मय दे कविता वरिष्ठ कवि। अवसर प्राप्त प्राध्यापक। हिंदी-बांग्ला दोनों में लेखन। समर रात के आगोश मेंखुली हुई किताबों के पन्नेरह-रह कर इशारा करते हैंजीवन निस्तब्ध नहीं, वाग्मय हैरात-जगा कोई पंछी संदेश देता हैजीवन अनमोल हैदुष्टजन छल कर जातेतरह-तरह के वादों से...
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