अफ़ग़ानिस्तान की बेटियां

अफ़ग़ानिस्तान की बेटियां

आज़ाद हवाओं में सांस लेने वालों के लिए कविता एक शगल हो सकती है, लेकिन बारूदी धुएँ से घुटी फिज़ाओं वाले अफगानिस्तान जैसे देशों में कवि होना, गुमनामियों और मौत को दावत देना है। खासतौर पर तब, जबकि आप एक स्त्री हों। लेकिन मायने तो इसी बात के हैं कि जब मौत सामने खड़ी हो तब आप...
अफ़गानिस्तान की कविताएं

अफ़गानिस्तान की कविताएं

1अफ़गानिस्तान की बेटी : नदिया अंजुमन (1980-2005) मैं नहीं चाहती कि अपनी जुबां खोलूंआख़िर खोल भी लूं, तो बोलूंगी क्या?(क्योंकि) मैं वो हूं, जिससे उसकी उम्र भी नफरत करती रहेगी ताउम्रभले मैं कुछ बोलूँ या नहींमेरी उम्र मुझसे करती रहेगी नफरत ताउम्र मैं कैसे गाऊं गीत शहद...