नंदा पांडेय

नंदा पांडेय

    वरिष्ठ कवयित्री। ‘बस कह देना कि आऊंगा’, ‘मनरंगना’ (काव्य-संग्रह)। शहर के बीच बहती वह नदी शहर के बीचो-बीच बहती वह नदी!जिसकी पथराई आंखों में आज भीजिंदा थे बीते कल के सपनेवह नदी इन दिनों जाने कहांगुम हो गईढूंढ़ रही हूँ गूगल पर शायद मिल जाए पिछले जेठ की ही तो...
नंदा पांडेय

नंदा पांडेय

    युवा कवयित्री। काव्य संग्रह- ‘बस कह देना कि आऊंगा’। नदियों का अंतर्नाद नदी!उस गुमशुदा औरत की तरह हो गई हैजिसके होने के निशान तो मिलते हैंपर वह नहीं मिलती हमने उसे मृत घोषित कर दिया हैऔर अब शेष बचेउसके अवशेषों को भरने की कर रहे हैं साजिश हम आते हैं...
राजेश पाठक

राजेश पाठक

    काव्य संग्रह ‘पुकार’। झारखंड सरकार में कार्यरत। मानव होना पड़ता है रोटियां तवे पर फूलती रहती हैंबिना जाति और धर्म देखेवे नहीं पूछतीं-किसने बेली हैं औरकौन सेक रहा है उन्हें दवाइयां भीबिना जाति-धर्म पूछेहलक से नीचे उतरती रहती हैं नदियां नहीं पूछती हैंतैरने...