पतझर, वसंत और प्रेम की तीन कविताएं

पतझर, वसंत और प्रेम की तीन कविताएं

मालवा की गंध में रचे-बसे नरेश मेहता की जन्मशती के अवसर पर वागर्थ की मल्टी-मीडिया प्रस्तुति प्रत्येक नई अभिव्यक्ति को आरंभ में विरोध सहना होता है, लेकिन वर्चस्व वरेण्य बनकर ही रहता है। कल तक, आज की कविता उपेक्षिता थी, लेकिन आज स्वीकृता है। इसका एकमात्र कारण इस काव्य की...