कविता
युवा कवि; काव्य संग्रह ‘जंगल में पागल हाथी और ढोल’संप्रति सरकारी सेवा में। पहले जंगल खेतों के पास थे इतने पास कि जंगली जानवर कर देते थे कभी-कभी अतिक्रमित खेतों और जंगल की सीमा मेरे पिता ने देखे थे कई बार भालू और बाघ मेरी माँ समझती थी लकड़बग्घे की आवाज वे देखते ही समझ...
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