वरिष्ठ लेखिका और आलोचक। चार कविता संग्रह, पांच आलोचना पुस्तकें और कहानी संग्रह ‘कोई तीसरा’, ‘कस्तूरीगंध तथा अन्य कहानियां’, ‘सुलगती ईंटों का धुआं’ और ‘खरपतवार’ प्रकाशित। दिसंबर की गहराती शाम का अंधकार कमरे के भीतर रात की शक्ल में फैल चुका था। नीलिमा...
वरिष्ठ कवयित्री। कविता, कहानी और आलोचना की कई पुस्तकें। अद्यतन कविता संग्रह ‘ उजाड़ लोकतंत्र में’। कई सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। खारा पानी ऐसा क्यों होता है किआधी अधूरी छूटीएक कातर सांसकविता के कंठ में हीपनाह लेती है ऐसा...
वरिष्ठ कवयित्री।पूर्व अध्यक्ष, हिंदी विभाग, एम. डी. डी. एम. कॉलेज, मुजफ्फरपुर। अद्यतन कविता संग्रह ‘पुश्तैनी गंध’। गंगू काका ओ गंगू काकाकितने बूढ़े हो गए हो तुमजीवछ पोखर के किनारे खड़ेउस बरगद की तरहजिसे अरसे बादआज देखा हैगांव आते हुएकितना कुछ बदल गया...
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