प्रकाश देवकुलिश

प्रकाश देवकुलिश

    संयुक्त संपादक ‘सबलोग’।अद्यतन कविता संग्रह ‘असंभव के विरुद्ध’। हे धर्मात्मा मठों, अखाड़ों मेंधर्म का ये कौन-सा रूप हैधर्मात्मा ये कैसेजो हतोत्साह, व्यथित, क्लांतहम जैसे हीऔर हम जाते हैं इनके पासमुक्ति की कामना में विवाद धन, धान्य या धरती कावैसा हीजैसा हम...
प्रकाश देवकुलिश की दो कविताएं

प्रकाश देवकुलिश की दो कविताएं

      कवि एवं मीडियाकर्मी। जीवन की करो गिनती इससे पहले किअंधेरा पोत दे काला रंगसफेद रोशनी परफैला जो है उजासउसकी बातें करोअंधेरे की बूंद को समुद्र मत बनाओ इससे पहले किमृत्यु अपने को बदल दे शोर मेंगीत गाओ, सुनाओजीवन की रागिनी गुनगुना रही हैश्रवण के सारे...