प्रमुख कवि तथा कला समीक्षक शैलेंद्र से मेरी भेंट कभी नहीं हुई। पर उनके गीत, वह तो उनके सच्चे प्रतिनिधि हैं। शैलेंद्र का कवि-मन, उनका इंसानी रूप, उनकी ऊर्जा, उनका सोचना, सब तो हैं वहाँ। उनके इस सोचने में, मानो उनका बिंबों में, दृश्यों में, बिंबों में सोचना शामिल है। और...
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