कविता, नारीमन
प्रेम रंजन अनिमेष, सुपरिचित कवि अद्यतन कविता संग्रह ‘बिन मुँडेर की छत’। मुंबई में बैंक अधिकारी। 1- सर्वांगिनी एक लुगरी वाली लुगाई आधा धोती आधा सुखाती आधा ओढ़ती आधा बिछाती आधी ढँकी आधी खुली बादलों के आरपार सूरज चाँद झलकाती आधा संसार कहाती पर सच तो यह सच में पूरा इसको...
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