(1377, बनारस) भक्तिकालीन दलित कवि। अपने और परिवार के भरण-पोषण के लिए जूते बनाने के श्रम से जुड़े। अपनी वाणी से संसार को एकता और भाईचारे का संदेश दिया। यहां रैदास के दो पदों का खड़ीबोली में काव्यात्मक अनुसृजन। 1-प्रभु की पहचान भी अपने जन से होती है तुझमें मुझमें,...
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