रेलवे में कार्यरत।प्रकाशित पुस्तक ‘आधी रात की बारिश में जंगल’। बचा रहे जो है बस उतना भी बचा रहेपांव के नीचे की मिट्टीसर पर खुला आकाशसीने में कसने भर खुली हवा आपसी संबंधों मेंबनी रहे उष्मा इतनी किबची रहे दिलचस्पीजीवन में संसार में स्त्री में एक मां बची...
युवा कवि। भारतीय रेल में कार्यरत। पिता होनामनुष्य होने की तरफप्रबल औरविश्वसनीय प्रस्थान हैयह वृक्ष का विस्तार भर नहींआत्मा का उर्वर होना भी हैपिता होनासंसार की तरफ हमारी दृष्टि काज्यादा आत्मीय और गहरा होना हैपिता होनाबहुत तेज बहती धार कासुंदर और सहज प्रवाह बन जाना...
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। भारतीय रेलवे सेवा में। हवा के ताल पे झूमता वृक्षसृष्टि का सबसे प्राचीन एवं निपुण नर्तक हैहर वृक्ष का अलग नृत्यहर शाख की अलग भंगिमाहर पात की अलग मुद्रापर सबकुछ एक लय मेंएक क्रम मेंएक बृहत्तर चित्र को पूरा करता हुआहवा का...
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