युवा कवि और समीक्षक। ‘दिव्य कैदखाने में’ (कविता संग्रह), ‘मल्लू मठफोड़वा’ (उपन्यास), ‘रचना और रचनाकार’ (आलोचना) प्रकाशित। फिलहाल अध्यापन। जब कभीहोने लगेनिराशा से मन बोझिलहताशा की धूप करने लगे तुम्हें क्षीणबैठना अपने पिता के पासऔर बतियाना उनसेजब कभी अनजाने भय के साए...
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