कथेतर गद्य की तीन कृतियां : रमेश अनुपम

कथेतर गद्य की तीन कृतियां : रमेश अनुपम

  कवि और आलोचक। अद्यतन कविता संग्रह‘लौटता हूँ मैं तुम्हारे पास’।     कथेतर गद्य की परंपरा हिंदी साहित्य में प्रारंभ से विद्यमान रही है। वासुदेव शरण अग्रवाल, पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’, रांगेय राघव, महादेवी वर्मा, रामवृक्ष बेनीपुरी, राहुल सांकृत्यायन,...
प्रतिरोध की समकालीन कविताएं : रमेश अनुपम

प्रतिरोध की समकालीन कविताएं : रमेश अनुपम

  कवि और आलोचक। अद्यतन कविता संग्रह‘लौटता हूँ मैं तुम्हारे पास’।     हर कला भयावह समय में उम्मीद से अधिक भरोसा होती है। यह आप आपदाओं में अनुभव करते हैं। युद्ध के समय में इनका महत्व समझ में आता है। कोरोना समय इसका ज्वलंत उदाहरण है। मेरी डायरी, किताब और...
मुश्किल हालात में भी कविता : रमेश अनुपम

मुश्किल हालात में भी कविता : रमेश अनुपम

  कवि और आलोचक। अद्यतन कविता संग्रह‘लौटता हूँ मैं तुम्हारे पास’।   आठवें दशक से अपनी काव्य यात्रा प्रारंभ करने वाले प्रगतिशील धारा के वरिष्ठ कवि राजेश जोशी का छठवां और नवीनतम काव्य संग्रह ‘उल्लंघन’, नौवें दशक के बाद के कवियों में अपना एक अलग स्थान बनाने वाले...
कविताओं का वैविध्य मानीखेज है : रमेश अनुपम

कविताओं का वैविध्य मानीखेज है : रमेश अनुपम

कवि और आलोचक।अद्यतन कविता संग्रह ‘लौटता  हूँ मैं तुम्हारे पास’। लीलाधर जगूड़ी ने अपने काव्य संग्रह ‘कविता का अमरफल’ में कहा है, ‘कविता में इतिहास का होते हुए भी अपने समय का होना पड़ता है।जो अपने समय का नहीं, वह इतिहास का भी नहीं हो सकता है।’ यह इतिहास का होते हुए अपने...
हिंदी कहानी में नए मोड़ : रमेश अनुपम

हिंदी कहानी में नए मोड़ : रमेश अनुपम

कवि, आलोचक। अद्यतन कविता संग्रह ‘लौटता हूं मैं तुम्हारे पास’  आज की कहानी कई अर्थों में अपनी पूर्ववर्ती कहानियों से भिन्न है। यह न केवल नई विषयवस्तुओं का संधान करती है, बल्कि कथा के अनेक ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में प्रवेश करने का जोखिम भी उठाती है, जो आज से...