दो कविताएं : रमेश प्रजापति

दो कविताएं : रमेश प्रजापति

      कविता-संग्रह : ‘पूरा हँसता चेहरा’, ‘शून्यकाल में बजता झुनझुना’, ‘भीतर का देश’| शिक्षा विभाग, दिल्ली में कार्यरत| अभिनय जारी है समय की रोटी है चांदजिसे स्याह रात में कुतरता है भूख का चूहापहाड़ का आंसू है नदीजिसे गटकता रेत का अथाह समुद्रखेत में खिले...