रामकिशोर दाहिया कविता वरिष्ठ कवि। चींटियां झुंड लेकर चींटियां फिरबेटियों-सी द्वार भरने आ गईं भावना की पंखुरी परशुभ लगुन के फूल धरने आ गईं चित्रकारी भी गजब की!दिख रही हैंदेहरी केद्वार भर्ती रीतियां क्या भला इनसे लगेंगेतरुणियों के गीत मंगलया वनों की वीथियां सरहदों को...
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