भंवर : ॠचा शर्मा

भंवर : ॠचा शर्मा

रोज की तरह वह बस स्टैंड पर आ खड़ी हुई।शाम ६ बजे की बस में यहीं से बैठती है।काम निपटाकर सुबह पांच बजे वापस आ जाती है।आज घर से निकलते समय ही मन बेचैन हो रहा था।मिनी बड़ी हो रही है।रंग भी निखरता जा रहा है।दूसरी मांएं अपनी लड़की की सुंदरता देख खुश होती हैं, वह डरती है।आज...