अनुवाद, कहानी, विश्व दृष्टि
एल. पिरानदेल्लो/ संदल भारद्वाज इतावली कहानीकार/ अनुवादक उस साल एक बार फिर ज़ैतून की फ़सल की भरपूर पैदावार हुई। कुछ मोटे और बूढ़े पेड़ पिछले साल से लदे पड़े थे,बावजूद उस घने कोहरे के, जिसकी वजह से उनमें बौर आने में काफ़ी देर हुई थी। उन सबसे भी इस...
Recent Comments