युवा कवयित्री, लेखिका, पत्रकार और अनुवादक। लिखना शुरू किया तो केवल यह चिंता थी कि जितना कहना है उसे कम से कम शब्दों में कैसे कहा जाय? मैं वह लिखता हूँ जो मुझे पसंद है और मेरा पाठक वह है जिसे मेरा लिखा पसंद है। लेखक शिवमूर्ति की ख्याति ग्रामीण जीवन के कुशल...
युवा कवयित्री, लेखिका, पत्रकार और अनुवादक। कभी कोई निरा वर्तमान नहीं होता। वर्तमान एक अबाध गति के साथ घटित होता हुआ किसी मायावी प्रतिनिधित्व का रूप लेने लगता है। वह बार-बार परिभाषित होना चाहता है। यहां समस्या किसी एकल सच के न होने की है। शहर एक समग्र...
मैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और मृत हो जाता है यह संसारमैं उठाती हूँ अपनी पलकें और सब लौट जाता है फिर एक बार(सोचती हूँ, तुम्हें गढ़ा हैं मैंने अपने जेहन में) तारे होते हैं नृत्यरत आसमानी और लालऔर अनियंत्रित अन्धकार लेकर आता है रफ़्तारमैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और...
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