स्थानीयता और सार्वभौम के बीच कविता : संजय जायसवाल

स्थानीयता और सार्वभौम के बीच कविता : संजय जायसवाल

कवि, समीक्षक और संस्कृति कर्मी।विद्यासागर विश्वविद्यालय, मेदिनीपुर में सहायक प्रोफेसर।     हिंदी कविता का परिदृश्य वैविध्यपूर्ण है। जीवन की असंख्य छवियां कविताओं में आकार पाकर हमें उत्प्रेरित करती हैं, चकित करती हैं और कई बार प्रतिवाद के लिए उकसाती हैं।...
आलोचना के कुछ आयाम : संजय जायसवाल

आलोचना के कुछ आयाम : संजय जायसवाल

कवि, समीक्षक और संस्कृति कर्मी।विद्यासागर विश्वविद्यालय, मेदिनीपुर में सहायक प्रोफेसर।     आज जब चारों ओर संवाद की जगह शोर बढ़ता जा रहा है, हम संवाद के ढांचे को समावेशी और विवेकपरक बनाने की बेचैनी हिंदी आलोचना में देख सकते हैं।इन दिनों इतिहास के पुनर्लेखन के...
हिंदी आलोचना की नई जमीन : संजय जायसवाल

हिंदी आलोचना की नई जमीन : संजय जायसवाल

कवि और समीक्षक. विद्यासागर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर एवं प्रबुद्ध रंगकर्मी. हिंदी आलोचना की नई जमीन उर्वर होने के साथ संभावनाओं से भरी है।आलोचना की समृद्ध परंपरा के साथ आज कई आलोचक निरंतर नए मिजाज के साथ लेखन कर रहे हैं।तथ्यपरकता, विश्लेषणात्मकता, आलोचनात्मक विवेक और...
विश्व में हिंदी, प्रस्तुति : संजय जायसवाल

विश्व में हिंदी, प्रस्तुति : संजय जायसवाल

कवि, समीक्षक और संस्कृति कर्मी।विद्यासागर विश्वविद्यालय, मेदिनीपुर में सहायक प्रोफेसर। आज दुनिया के लगभग 150 विश्वविद्यालयों और संस्थानों में हिंदी में पठन-पाठन एवं शोध के कार्य हो रहे हैं।विदेशों से कई हिंदी पत्रिकाओं का प्रकाशन हो रहा है।हाल में अबू धाबी के...
आलोचना के कुछ आयाम : संजय जायसवाल

आलोचना के कुछ आयाम : संजय जायसवाल

कवि और समीक्षक. विद्यासागर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर एवं प्रबुद्ध रंगकर्मी.     हिंदी आलोचना का काम आलोचकीय दृष्टि के भीतर संवेदना को बचाए रखने का है।आम तौर पर आलोचना की चर्चा करते ही गंभीर और बौद्धिक होने का दबाव बनने लगता है।हाल ही में प्रकाशित वरिष्ठ...