हिंदी आलोचना की नई जमीन : संजय जायसवाल

हिंदी आलोचना की नई जमीन : संजय जायसवाल

कवि और समीक्षक. विद्यासागर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर एवं प्रबुद्ध रंगकर्मी. कविता ने हमेशा मानव मन की बेचैनियों को बचाया और चेतना को उद्वेलित किया है। हिंदी कविता का तेवर बदला है। छोटी-छोटी जगहों से कवि आ रहे हैं, उन जगहों की आवाजें हिंदी काव्य-संसार में सुनाई पड़ रही...
जीवनी लेखन की चुनौतियां और परसाई : संजय जायसवाल

जीवनी लेखन की चुनौतियां और परसाई : संजय जायसवाल

कवि, समीक्षक और संस्कृति कर्मी।विद्यासागर विश्वविद्यालय, मेदिनीपुर में सहायक प्रोफेसर।     हिंदी में कुछ जीवनियां काफी प्रसिद्ध रही हैं, क्योंकि वे सिर्फ जीवनी नहीं थीं। ‘निराला की साहित्य साधना’ (रामविलास शर्मा), प्रेमचंद के जीवन पर ‘कलम का सिपाही’ (अमृत...
तर्कपूर्ण बौद्धिक जगह की खोज संजय जायसवाल

तर्कपूर्ण बौद्धिक जगह की खोज संजय जायसवाल

कवि, समीक्षक और संस्कृति कर्मी।विद्यासागर विश्वविद्यालय, मेदिनीपुर में सहायक प्रोफेसर।     21वीं सदी में उदारीकरण, लोकतंत्र और गांधी के विचारों को लेकर एक गहरी बेचैनी है। यह हमारे लिए एक आश्वस्ति है। विमर्शों के इकहरेपन के बरक्स आलोचक विचार-विमर्श की एक...
बौद्धिक स्वतंत्रता का सवाल, प्रस्तुति : संजय जायसवाल

बौद्धिक स्वतंत्रता का सवाल, प्रस्तुति : संजय जायसवाल

कवि, समीक्षक और संस्कृति कर्मी।विद्यासागर विश्वविद्यालय, मेदिनीपुर में सहायक प्रोफेसर। दुनिया में बौद्धिक स्वतंत्रता श्रेष्ठ विचार के लिए हमेशा जरूरी बताई जाती रही है। बौद्धिक होने का अर्थ एक ऐसी ज्ञान परंपरा से अपने को जोड़ना है, जो विद्वता के साथ तर्क से जुड़ा होता...
स्थानीयता और सार्वभौम के बीच कविता : संजय जायसवाल

स्थानीयता और सार्वभौम के बीच कविता : संजय जायसवाल

कवि, समीक्षक और संस्कृति कर्मी।विद्यासागर विश्वविद्यालय, मेदिनीपुर में सहायक प्रोफेसर।     हिंदी कविता का परिदृश्य वैविध्यपूर्ण है। जीवन की असंख्य छवियां कविताओं में आकार पाकर हमें उत्प्रेरित करती हैं, चकित करती हैं और कई बार प्रतिवाद के लिए उकसाती हैं।...