प्रमुख कथाकार।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। माटी की लाज रखी तो डायरेक्टर साहब ने।इतने ऊंचे पद पर जाकर भी गांव को नहीं भूले।पुरखापति का नाम रोशन कर दिया।इलाके में उनके इस लगाव की नाल बज रही है।लोग शहर क्या गए, रिश्ता-नाता ही भूल गए।शूरा कहे कोई इस...
आदमी के पास चिड़िया आती थी जब-तब। एक दिन मजाक-मजाक में आदमी ने पूछा- ‘जंगल बेचोगी?’ ‘बेचा गया,’ चिड़िया ने धीरे से कहा। ‘नदी बेचोगी?’ आदमी ने मशीन की तरह दुहराया। ‘बेची गयी,’ वह उदास होकर बोली। ‘आसमान?’ ‘वह भी!’ ‘अब रहोगी कहां?’ ‘आदमी की बस्ती में!’ ‘मन लगेगा?’ आदमी ने...
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