उपन्यास की लोकतांत्रिकता : सरोज सिंह

उपन्यास की लोकतांत्रिकता : सरोज सिंह

वरिष्ठ लेखिका और समीक्षक।संप्रति इलाहाबाद में शिक्षण कार्य। हिंदी लेखक आर्थिक स्तर पर सामान्यत: इतना समर्थ नहीं होता कि आने-जाने, रहने-बसने, पढ़ने-लिखने और सामग्री जुटाने के साधन जुटा सके। पर मुझे लगता है कि आप कुछ करने की ठान लो, तो काम चलाने योग्य साधन जैसे-तैसे जुट...
तीन उपन्यास-तीन जमीनें : सरोज सिंह

तीन उपन्यास-तीन जमीनें : सरोज सिंह

वरिष्ठ लेखिका और समीक्षक।संप्रति इलाहाबाद में शिक्षण कार्य। उपन्यास अपने समय और समाज की सशक्त विधा और उपलब्धि है।साथ ही यह पाठक से संवाद करने में अधिक समर्थ है।हर उपन्यास में एक कथा संसार होता है।कथा में घटनाओं की श्रृंखला होती है, किस्सागो तथा श्रोता एक दूसरे के...
अवहेलित स्त्रियों का संसार : सरोज सिंह

अवहेलित स्त्रियों का संसार : सरोज सिंह

सी.एम.पी. कॉलेज, इलाहाबाद में हिंदी विभागाध्यक्ष 8 मार्च 1975 से अंतरराष्ट्रीय महिला वर्ष शुरू हुआ था। उस समय से 45 साल बीत गए। कहना मुश्किल है कि समाज में स्त्रियों के अधिकारों की रक्षा कितनी हो पा रही है और अवहेलित स्त्रियां कितनी मुखर हो पा रही हैं। हमारे कथा...