जिस्मों का तिलिस्म : सतीश राठी

जिस्मों का तिलिस्म : सतीश राठी

वे सारे लोग सिर झुकाये खड़े थे।उनके कांधे इस कदर झुके हुए थे कि पीठ पर कूबड़-सी निकली लग रही थी।दूर से उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कई सिरकटे जिस्म पंक्तिबद्ध खड़े हैं।मैं उनके नज़दीक गया।मैं चकित था कि ये इतनी लंबी लाईन लगाकर क्यों खड़े हैं? ‘क्या मैं इस लंबी कतार की...