युवा कवि।इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक के तृतीय वर्ष के छात्र। बेजुबान सतही नहीं हो जाती पीड़ासिर्फ इसलिए कि वह तुम्हारी नहीं हैभाषा में लेकिन अपनी बातकहने की इजाजत है सबको सुधीजनो, आप चाहते हैंकि मैं बेजुबानों की आवाज़ बनूं लेकिन जब शुरुआत से हीमैं...
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