शंभुनाथ एक लोक वह रहा है जिसमें संदेह करने, प्रश्न करने, सृष्टि से प्रेम करने और मिल-जुलकर रहने के महान गुण थे।मेगस्थनीज (300 ईसा पूर्व) ने अपने यात्रा वृत्तांत में बताया है कि उनके समय का लोक कैसा था।राजा जिस समय कहीं युद्ध लड़ रहे होते थे, पास में कृषक अपनी जमीन पर...
शंभुनाथ राम जब वनवास के समय केवट से गंगा पार उतारने के लिए कहते हैं, केवट मना कर देता है।वह संदेह व्यक्त करता है कि राम के पैरों की धूल से कहीं उसकी नाव अहिल्या की तरह स्त्री बन गई तो उसकी जीविका कैसे चलेगी।वह कहता है, भले लक्ष्मण तीर चलाकर मार डालें, वह पैरों से धूल...
शंभुनाथ भारत में आदिवासी 2011 की जनगणना के अनुसार कुल आबादी के 8.6 प्रतिशत हैं, अर्थात आज के समय में करीब 11 करोड़।ये नई शब्दावली में ‘जनजाति’, ‘देशज लोग’ (इंडिजिनस पीपल) कहे जाते हैं।देश की सबसे अधिक प्राकृतिक विविधता आदिवासी इलाकों में है और उतना ही विविध है उनका...
शंभुनाथ ये कुछ समाचार हैं जिनसे स्त्री की दशाओं का बोध होता हैः – कोरोना महामारी के दौर में स्त्रियां सबसे ज्यादा बेरोजगारी और घरेलू हिंसा की शिकार हुईं।- स्त्रियां मर्यादा न लांघें।मर्यादा का उल्लंघन होता है तो सीताहरण हो जाता है।अगर कोई स्त्री मर्यादा लांघती...
शंभुनाथ 21वीं सदी में मीडिया के स्वरूप में ऐसा परिवर्तन आया है, जिसकी कभी कल्पना नहीं की गई थी। अब इसे ‘नया मीडिया’ तथा मुद्रित माध्यमों को ‘परंपरागत मीडिया’ कहा जाता है। नया मीडिया के दो रूप हैं- कारपोरेट टीवी और सोशल मीडिया। कहा जा सकता है कि मल्टीनेशनल के लिए...
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