रोजे का दिन : शंकर

रोजे का दिन : शंकर

    सुप्रतिष्ठित कथाकार ‘पहिये’, ‘मरता हुआ पेड़’, ‘जगो देवता, जगो’, ‘एक बटा एक’, ‘बत्तियां’, ‘सैल्यूट (छह कहानी-संग्रह), ‘कहानी : परिद़ृश्य और प्रश्न’, ‘अच्छी कहानी : अवधारणा और पहचान’ (कथा-आलोचना) आदि। सत्रह सालों से साहित्यिक पत्रिका ‘परिकथा’ का संपादन...
गिफ्ट-विफ्ट : शंकर

गिफ्ट-विफ्ट : शंकर

      साहित्यिक पत्रकारिता और कथा-लेखन के सुप्रतिष्ठित व्यक्तित्व।परिकथा’ का संपादन। कृतियां – ‘थोड़ी सी स्याही’ (कविता-संग्रह), ‘पहिये’, ‘मरता हुआ पेड़’, ‘जगो देवता, जगो (सभी कहानी-संग्रह) ‘सड़क पर मोमबत्तियां’ (संपादकीय टिप्पणियों का संग्रह),...
बाजार के दबाव के बीच आम जीवन का राग-विराग : संजय कुंदन

बाजार के दबाव के बीच आम जीवन का राग-विराग : संजय कुंदन

चर्चित कहानीकार।अद्यतन कहानी संग्रह ‘श्यामलाल का अकेलापन’, उपन्यास ‘तीन ताल’।संप्रति ‘नवभारत टाइम्स’, नई दिल्ली में सहायक संपादक।   पिछले दो-तीन दशकों से हिंदी कहानी की मुख्यधारा में ऐसी कहानियों को ज्यादा महत्व मिलता रहा है, जो समाज के बड़े संकटों की शिनाख्त करती...
ठांव : शंकर

ठांव : शंकर

साहित्यिक पत्रकारिता और कथा-लेखन के सुप्रतिष्ठित व्यक्तित्व। पहले ‘अब’ के बाद अभी ‘परिकथा’ का संपादन। कृतियां, ‘थोड़ी सी स्याही’ (कविता-संग्रह), ‘पहिये’, ‘मरता हुआ पेड़’, ‘जगो देवता, जगो (सभी कहानी-संग्रह) ‘सड़क पर मोमबत्तियां’ (संपादकीय टिप्पणियों का संग्रह), ‘कहानी :...