सुपरिचित कवि। तीन कविता संग्रह ‘दूसरे दिन के लिए’, ‘पदचाप के साथ‘ और ‘इंकार की भाषा’ प्रकाशित। संप्रति अध्यापन। सीढ़ियां जिन्हें चढ़ने की जरूरत हैवे सीढ़ी को महज एक रास्ता समझते हैंकितनी आसानी सेकिसी की पीठ पर रख देते हैं अपने पांव अपना वजन दूसरे की देह पर...
युवा कवि।अब तक तीन कविता संग्रह ‘दूसरे दिन के लिए’, ‘पदचाप के साथ’ और ‘इंकार की भाषा’।संप्रति-अध्यापन। भुट्टे के दानों के बीच पत्तों का हरा जबधीरे-धीरे पीला पड़ता जाता हैतब पता चलता है किअब फसल पक कर तैयार हो गई है भुट्टे के दानों के बीच जोबह रही थी दूध...
युवा कवि।अब तक तीन कविता संग्रह ‘दूसरे दिन के लिए’, ‘पदचाप के साथ’ और ‘इंकार की भाषा’।संप्रति-अध्यापन। अंतराल के बाद मिलने की इच्छाओं काकुछ कहा नहीं जा सकतावे भूसे के ढेर की तरह होती हैंजमा और इतना अधिक किउनकी गिनती संभव नहींफिर भी मिलनाअसंभव होता जा रहा हैस्थगित होता...
युवा कवि। अब तक तीन कविता संग्रह। स्त्री के हाथ तमाम रेखाएं धीरे-धीरे धुंधली पड़ जाती हैं जो कुछ कोमल है वह घिस जाता है समय के साथ जिसे देखा था और पहचान गया था उंगलियों से अब वे उंगलियाँ धूसर हो गई हैं उन्हें थामता हूँ तो लगता है न जाने कितनी...
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