कविता
युवा कवि। अब तक तीन कविता संग्रह। स्त्री के हाथ तमाम रेखाएं धीरे-धीरे धुंधली पड़ जाती हैं जो कुछ कोमल है वह घिस जाता है समय के साथ जिसे देखा था और पहचान गया था उंगलियों से अब वे उंगलियाँ धूसर हो गई हैं उन्हें थामता हूँ तो लगता है न जाने कितनी...
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