संस्कृति कर्मी। लंबे समय तक मजदूर आंदोलन और कुष्ठ रोगियों के मध्य कार्य। अद्यतन कविता संग्रह, ‘बीच दिसंबर’। आवाज – 1 तुम्हारी आवाज इस वक्त भी बराबर गूँज रही हैतुम इस वक्त भी वैसे ही पुकार रही होजैसे दो बरतन खटकते हैं घर मेंऔर साथ-साथ रहते हैंअब घर...
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