दो कविताएं-आवाज और सन्नाटा : शैलेय

दो कविताएं-आवाज और सन्नाटा : शैलेय

संस्कृति कर्मी। लंबे समय तक मजदूर आंदोलन और कुष्ठ रोगियों के मध्य कार्य।  अद्यतन कविता संग्रह, ‘बीच दिसंबर’। आवाज – 1 तुम्हारी आवाज इस वक्त भी बराबर गूँज रही हैतुम इस वक्त भी वैसे ही पुकार रही होजैसे दो बरतन खटकते हैं घर मेंऔर साथ-साथ रहते हैंअब घर...