शिरोमणि महतो

शिरोमणि महतो

    अद्यतन संग्रह ‘समकाल की आवाज़’ (चयनित कविताएँ)।संप्रति अध्यापन तथा ‘महुआ’ पत्रिका का संपादन। कोचिंग के लड़के वे दौड़ रहे हैं-सडकों पर बस पकड़ने के लिएरेलवे स्टेशनों पर ट्रेन पकड़ने के लिएवे दौड़ रहे हैं-पूरी ताकत सेआसमान में उड़ने के लिएजैसे उड़ने से पहले दौड़ता...
शिरोमणि महतो

शिरोमणि महतो

    अद्यतन संग्रह ‘समकाल की आवाज़’ (चयनित कविताएँ)।संप्रति अध्यापन तथा ‘महुआ’ पत्रिका का संपादन। शरद का चाँद पूनम का नभ तारों से भरा हुआनभ के कड़ाहे में मानो तल रहाएक बड़ा-सा पुआशरद का चाँद! अनगिन शिशु तारक देख रहे अपलकललच रहा मन भर गया लारओस-सा लार टपक...
कटोरे में चाँद : शिरोमणि महतो

कटोरे में चाँद : शिरोमणि महतो

          ‘महुआ’ पत्रिका का संपादन। अद्यतन कविता संग्रह ‘चाँद से पानी.    एक दिन सोचाबचपन के दिनों कोयाद किया जाएआँगन में बैठकरकटोरे में पानी भरकरदेखा जाए – चाँद को कटोरे के पानी मेंमुझे दिखा चाँदथका-हारा सामंदा-मंदा सा क्या पानी है...