अद्यतन संग्रह ‘समकाल की आवाज़’ (चयनित कविताएँ)।संप्रति अध्यापन तथा ‘महुआ’ पत्रिका का संपादन। शरद का चाँद पूनम का नभ तारों से भरा हुआनभ के कड़ाहे में मानो तल रहाएक बड़ा-सा पुआशरद का चाँद! अनगिन शिशु तारक देख रहे अपलकललच रहा मन भर गया लारओस-सा लार टपक...
‘महुआ’ पत्रिका का संपादन। अद्यतन कविता संग्रह ‘चाँद से पानी. एक दिन सोचाबचपन के दिनों कोयाद किया जाएआँगन में बैठकरकटोरे में पानी भरकरदेखा जाए – चाँद को कटोरे के पानी मेंमुझे दिखा चाँदथका-हारा सामंदा-मंदा सा क्या पानी है...
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