कवि तथा कहानीकार।विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। एक कविता संग्रह ‘यहां से इस तरह’। ‘फिस्स….!’ ऐसे ही हँस देता था दुलीचंद।यही उसकी फितरत थी।उस दिन भी वह जिला कचहरी में ऐसे ही हँस पड़ा, जब सफेद कमीज पहने एक नौजवान के कंधे पर किसी पंछी ने बीट कर दिया।नौजवान...
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