युवा कवि।कई पत्रिकाओं में प्रकाशित। स्वर्ग स्वर्ग में सुना हैसब मुफ्त हैजितनी चाहोखा सकते हो रोटियां स्वर्ग में रोटियां कौन बेलता है? वे चुप हैं विरह में डूबे इस पानी परएक मूरख बत्तख खुश है विरह में खिली इस घास परएक कौवा सुस्ता रहा है वसंत आया हैकिसे धीरज बंधाने?...
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