सहायक प्रोफेसर, प्रदर्शनकारी कला विभाग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय, वर्धा ‘बहु दिन धरे, बहु कोश दुरेबहु व्यय कोरे, बहु देश घुरेदेखते गियेछि पर्वत-माला, देखते गियेछि शिंधुदेखा होए ना चक्षु मेलियाघर होते शुधु दुई पा फेलियासारा देश घुरे, देखा होए न...
सहायक प्रोफेसर, प्रदर्शनकारी कला विभाग, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय, वर्धा ‘बहु दिन धरे, बहु कोश दुरेबहु व्यय कोरे, बहु देश घुरेदेखते गियेछि पर्वत-माला, देखते गियेछि शिंधुदेखा होए ना चक्षु मेलियाघर होते शुधु दुई पा फेलियासारा देश घुरे, देखा होए न...
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