वरिष्ठ लेखक।लगभग 11 पुस्तकें प्रकाशित। ‘वाणी एवं सृजन’ वार्षिक पत्रिका के संपादक। ठाकुर रिपुदमन सिंह बेचैनी से अपने चौपाल पर टहल रहे थे।उनके चेहरे पर चिंता और झुंझलाहट के भाव थे। पुश्तों से रमनगला के लोग उनके खेतों पर मजदूरी करते चले आ रहे थे।जो ठाकुर...
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