विद्रोही : सुशीला गुप्ता कहानी‘हिंदुस्तानी ज़बान’ की पूर्व संपादक। संप्रति स्वतंत्र लेखन। ‘मम्मी, कानपुर से पापा ने वाट्सएप पर मेसेज भेजा है।’‘………….’‘पूछोगी नहीं कि क्या मेसेज है?’‘बता।’‘पढ़ती हूँ, लो सुनो- प्रिय बेटी श्वेता,एक युग बीत गया तुमसे जुदा हुए। तुम पूछोगी, क्या...
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