कर्जे का बोझ दुखों के बोझ से हमेशा बड़ा होता है शायद : सुवन चंद्र

कर्जे का बोझ दुखों के बोझ से हमेशा बड़ा होता है शायद : सुवन चंद्र

कवि और संस्कृतिकर्मी। पेशे से अध्यापक। एकदम खाली हो चुके गिलास कोमेज पर अतिरिक्त एहतियात से रखते हुएबार-बार सोच रहा हूँ मैंकि क्या कर्जे का बोझदुख के बोझ से बड़ा होता है मरूंगा तोनहीं चुका पाए कर्जों का बोझसाथ-साथ जाएगाइतने भारी बोझ के साथश्मशान घाट तक पहुंचने की...
कर्जे का बोझ दुखों के बोझ से हमेशा बड़ा होता है शायद : सुवन चंद्र

कर्जे का बोझ दुखों के बोझ से हमेशा बड़ा होता है शायद : सुवन चंद्र

कवि और संस्कृतिकर्मी। पेशे से अध्यापक। एकदम खाली हो चुके गिलास कोमेज पर अतिरिक्त एहतियात से रखते हुएबार-बार सोच रहा हूँ मैंकि क्या कर्जे का बोझदुख के बोझ से बड़ा होता है मरूंगा तोनहीं चुका पाए कर्जों का बोझसाथ-साथ जाएगाइतने भारी बोझ के साथश्मशान घाट तक पहुंचने की...