देह भर : स्वाति मेलकानी कविता युवा कवयित्री। कविता संग्रह : ‘जब मैं जिंदा होती हूँ’। हम हो सकते थे पेड़ और पहाड़और एक दूसरे में समाईहमारी जड़ेंहमसे भी अधिकआलिंगनबद्ध रहतीं हम हो सकते थे नदी और झरनाजहां एक का अंतदूसरे के आदि को उत्पन्न करतायारात और तारेजिसमें एक का अंधकारदूसरे के...
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