


जॉन फॉसे की कविताएं, अंग्रेजी से अनुवाद : उपमा ऋचा
(1959 नॉर्वे)। नोबल साहित्य पुरस्कार 2023 से सम्मानित कवि, उपन्यासकार और नाटककार। एक इंसान यहां एक इंसान होता हैऔर फिर गुम हो जाता है एक ऐसी हवा मेंजो मिटती जाती है अंदर ही अंदरऔर जा मिलता है चट्टानों की गति सेऔर फिरएक सन्नाटे मेंक्या होता हैक्या नहींके निरंतर योग...
बालदिवस पर इब्बार रब्बी की कविता : बच्चा घड़ी बनाता है, वाचन : शिवानी मिश्रा
पाँच साल पहले यहाँ घड़ी नहीं थीमैं तब आदमी था आज खच्चर हूँ।पाँच साल पहले यहाँ राशनकार्ड नहीं था,मैं तब हवा था, आज लट्टू हूँ*मैं तब मैं था, आज कोड़ा हूँ;जो अपने पर बरस रहा है।मैंने चाँद को देखा, वह बाल्टी भर दूध हो गया।घड़ी मेरे बच्चे के पाँच साला जीवन में आतंक की तरह...
सिल्विया प्लाथ
मैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और मृत हो जाता है यह संसारमैं उठाती हूँ अपनी पलकें और सब लौट जाता है फिर एक बार(सोचती हूँ, तुम्हें गढ़ा हैं मैंने अपने जेहन में) तारे होते हैं नृत्यरत आसमानी और लालऔर अनियंत्रित अन्धकार लेकर आता है रफ़्तारमैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और...
Recent Comments