चुप्पियों को आवाज़ देने वाली कलम-जॉन फॉसे : उपमा ऋचा

चुप्पियों को आवाज़ देने वाली कलम-जॉन फॉसे : उपमा ऋचा

साहित्य का नोबेल पुरस्कार - 2023जब मैं कुछ ठीकठाक लिखने में कामयाब हो जाता हूं, तब एक दूसरी भाषा प्रकट होती है। मूक भाषा… यह भाषा बताती है यह सब क्या और किसलिए था। यह कोई कहानी नहीं, लेकिन आप इसके पीछे तैरता हुआ सा कुछ सुन सकते हैं। एक मूक भाषा को बोलते हुए! यही...
जॉन फॉसे की कविताएं, अंग्रेजी से अनुवाद : उपमा ऋचा

जॉन फॉसे की कविताएं, अंग्रेजी से अनुवाद : उपमा ऋचा

(1959 नॉर्वे)। नोबल साहित्य पुरस्कार 2023 से सम्मानित कवि, उपन्यासकार और नाटककार। एक इंसान यहां एक इंसान होता हैऔर फिर गुम हो जाता है एक ऐसी हवा मेंजो मिटती जाती है अंदर ही अंदरऔर जा मिलता है चट्टानों की गति सेऔर फिरएक सन्नाटे मेंक्या होता हैक्या नहींके निरंतर योग...
बालदिवस पर इब्बार रब्बी की कविता : बच्चा घड़ी बनाता है, वाचन : शिवानी मिश्रा

बालदिवस पर इब्बार रब्बी की कविता : बच्चा घड़ी बनाता है, वाचन : शिवानी मिश्रा

पाँच साल पहले यहाँ घड़ी नहीं थीमैं तब आदमी था आज खच्चर हूँ।पाँच साल पहले यहाँ राशनकार्ड नहीं था,मैं तब हवा था, आज लट्टू हूँ*मैं तब मैं था, आज कोड़ा हूँ;जो अपने पर बरस रहा है।मैंने चाँद को देखा, वह बाल्टी भर दूध हो गया।घड़ी मेरे बच्चे के पाँच साला जीवन में आतंक की तरह...
सिल्विया प्लाथ

सिल्विया प्लाथ

मैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और मृत हो जाता है यह संसारमैं उठाती हूँ अपनी पलकें और सब लौट जाता है फिर एक बार(सोचती हूँ, तुम्हें गढ़ा हैं मैंने अपने जेहन में) तारे होते हैं नृत्यरत आसमानी और लालऔर अनियंत्रित अन्धकार लेकर आता है रफ़्तारमैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और...
अवतार सिंह पाश की कविताएं, कविता पाठ : अनुपम श्रीवास्तव

अवतार सिंह पाश की कविताएं, कविता पाठ : अनुपम श्रीवास्तव

कवि : अवतार सिंह पाश कविता पाठ : अनुपम श्रीवास्तव (भाषा प्रौद्योगिकी विभाग)ध्वन्यांकन : अनुपमा ऋतु (लेखिका एवं अनुवादक)दृश्य संयोजन-सम्पादन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ)प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद कोलकाता अनुपम श्रीवास्तव, अनुपमा ऋतु, उपमा...