तुम्हारा ख्वाब : वर्षा श्रीवास्तव कविता युवा कवयित्री। अद्यतन साझा काव्य संकलन ‘वंदे भारती’। सरकारी सेवा में। मैं अगर इंसान नहीं होतीतो क़िताब होतीतुम्हारे तकिये के नीचे हिफाजत से रखी हुईया सीने से लग के सोई हुईकुछ कॉटेशन्स को अंडरलाइन की हुईकोई पसंदीदा किताबतुम पढ़ते मुझे अनगिनत बारहर...
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