दो कविता संग्रह ‘है यहाँ भी जल’ और ‘लिखना कि जैसे आग’। जयपुर में प्रशासनिक अधिकारी। मनुज धर्म वे अनगिनत हाथजो उलझे रहे ताउम्रऐसे सारहीन कामों मेंजिनका कतई योग न थाइस दृश्यमान दुनिया की बेहतरी मेंमसलन : हत्याएं,लूटपाट, आतंक,नरसंहार, ध्वंस- विध्वंस आदिउठो!उन हाथों को...
दो कविता संग्रह ‘है यहाँ भी जल’ और ‘लिखना कि जैसे आग’। जयपुर में प्रशासनिक अधिकारी। 1-अग्निपाखी कई-कई बार टूटता है कविकई-कई बार आबाद होती है दुनियाकई-कई बार खाली होता है कवि भीतर सेकई-कई बार सरसब्ज होता दुनिया का आंचलजब चमकदार नजर आता है धरती का चेहराअपनी कविता की आग...
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