विजय सिंह नाहटा की कविताएं

विजय सिंह नाहटा की कविताएं

दो कविता संग्रह ‘है यहाँ भी जल’ और ‘लिखना कि जैसे आग’। जयपुर में प्रशासनिक अधिकारी। मनुज धर्म वे अनगिनत हाथजो उलझे रहे ताउम्रऐसे सारहीन कामों मेंजिनका कतई योग न थाइस दृश्यमान दुनिया की बेहतरी मेंमसलन : हत्याएं,लूटपाट, आतंक,नरसंहार, ध्वंस- विध्वंस आदिउठो!उन हाथों को...
विजयसिंह नाहटा की दो कविताएं

विजयसिंह नाहटा की दो कविताएं

दो कविता संग्रह ‘है यहाँ भी जल’ और ‘लिखना कि जैसे आग’। जयपुर में प्रशासनिक अधिकारी। 1-अग्निपाखी कई-कई बार टूटता है कविकई-कई बार आबाद होती है दुनियाकई-कई बार खाली होता है कवि भीतर सेकई-कई बार सरसब्ज होता दुनिया का आंचलजब चमकदार नजर आता है धरती का चेहराअपनी कविता की आग...