विराग विनोद की कविताएं कविता युवा कवि। बंदूक इतिहास गवाह है कि बंदूकें जब भी उठी हैं हत्याएँ हुई हैं, रक्षा नहीं हुई कभी किसी बंदूक से धर्म के लिए उठी बंदूकों ने हत्या की धर्म की संस्कृति के लिए उठी बंदूकों ने संस्कृति की शांति की बंदूकों ने नष्ट किया शांति को बंदूक से कभी...
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