वरिष्ठ कवि।हाल की कविता संग्रह,‘कलम का दिहाड़ी मजदूर’, आलोचना की पुस्तक दलित साहित्य का सौंदर्यशास्त्र

प्रकृति

जब हमारे पास
कुछ भी नहीं था तब भी
हम जीवित थे
सांस थी हमारी
धड़कनें थीं
भूख थी हमारे पास
नींद थी
इच्छाएं थीं
हमारे भीतर जो
किसी चिड़िया की तरह
फुदकती रहती थी
आषाढ़ की पहली
बारिश के बाद
मिट्टी की सोंधी गंध
हमारी धड़कनों में
गूंज उठती थी
मेघ-मल्हार राग
बजने लगता था
यद्यपि हम धन-पशु
नहीं थे
लेकिन जीवन में जड़ता न थी
जब हमारे पास कुछ भी न था
तब हमारी प्रकृति थी हमारे पास।

कलम

मैंने इस कलम से सिर्फ प्रेमपत्र
नहीं लिखा
बेरोजगारी के फटेहाल दिनों की
तमाम अर्जियां
मैंने इस कलम से लिखी
कविताएं, कहानियां
संस्मरण मैंने इस कलम से लिखीं
टॉलस्टाय ने जिस कलम से
‘वार एंड पीस’ या ‘अन्ना-करनिना’ लिखा था
वह रूस के संग्रहालय में है
मेरी कलम मेरे पास है।

मैं जीवित रहूंगा

मैं जीवित रहूंगा
किसी भी तरह
किसी भी रूप में
हर तरह के विरोध के बावजूद
मैं जीवित रहूंगा
चूल्हे की आग की तरह
मैं जीवित रहूंगा
अंधेरे में जुगनू की तरह
मैं जीवित रहूंगा
प्रेम की तरह या विरह की तरह
वसंत की तरह या पतझड़ की तरह
जीवित रहूंगा
दुनिया के सबसे बड़े झूठ के
खिलाफ मैं जीवित रहूंगा।

तुम्हारी आवाज

इस दुनिया में
बहुत सारी आवाजें हैं
भयावह और डरावनी आवाजें
इससे अलग तुम्हारी प्यारी आवाज
सबसे सुंदर संगीत जैसी
बड़े से बड़े घाव को ठीक कर देनेवाली
आवाज अंधेरे में रोशनी जैसी झिलमिलाती है
चिराग जल उठते हैं कब्रगाह के
दुनिया के मानसिक रोगियों
अनाथों, दुखी और परेशान लोगों को
सिर्फ तुम्हारी ममतामयी
सुकोमल आवज की जरूरत है
जो आवाज आत्मा को झकझोरती है
हृदय को स्पर्श करती है
धड़कती हुई सच्चाई जैसी।

खोज

जब खोजता हूँ
कोई खोई हुई चीज
तब दूसरी खोई हुई चीज
मिल जाती है
कभी-कभी तीसरी भी
खोजने पर कुछ न कुछ
जरूर मिलता है
इसलिए खोज जारी है।

संपर्क : १४/१२ शिवनगर कॉलीनी, अल्लापुर, प्रयागराज२११००६ मो.८९५७८०४१४४