कवि, आलोचक। आलोचना की दो पुस्तकें।

मुझमें हजारों उजले शब्द की कराहें रहती हैं
धकेल देता हूँ उन्हें अंधियारी गुफा में जबरन
दरअसल उजले शब्दों के आसपास
हत्यारों का पहरा है बहुत सख्त
जारी है
उजले शब्दों के आखेट का संगठित अभियान
उजले शब्दों की कराहों को अनसुना कर
लिखता हूँ
नए मुहावरे में एक अंधेरा शब्द
और अब हत्यारे खुश हैं
यह हत्यारों के खिलने-खिलखिलाने का समय है
फिलवक्त कराहों से भरे उजले शब्दों का
गुनहगार हूं मैं
मेरे प्यारे देश
यह उजले शब्दों के कारावास का समय है!

संपर्क: एसोसिएट प्रोफेसर, पोस्ट – हिंदी विश्वविद्यालय,  गांधी हिल्स, वर्धा-442001 महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा मो.9422905755