कैंसर में जीवन के अर्थ की तलाश है
फिल्म बिफोर यू डाई 

iLEAD की पहली फीचर फिल्म ‘बिफोर यू डाई’ विश्व कैंसर दिवस पर आगामी 4 फरवरी 2022 को रिलीज हो रही है। यह एक नई धारा की फिल्म है, जिसे सार्थक सिनेमा कह सकते हैं। इसका निर्देशन शुभेंदु राज घोष ने किया है। रिलीज हो रही यह फिल्म एक कैंसर रोगी और उसके परिवार की विकट स्थितियों पर आधारित है। यह ऐसी फिल्म है, जिसके जरिए समाज को जागरूकता का मजबूत संदेश मिल सकता है। यह फिल्म न केवल कैंसर से लड़ने वाले एक इंसान की जीवन यात्राहै, बल्कि यह एक खूबसूरत प्रेम कहानी और एक पूरे परिवार की गाथा है।

फिल्म की कहानी आईलीड फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रदीप चोपड़ा ने लिखी है। उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की है कि भले ही जन्म और मृत्यु हमारे हाथ में न हो, लेकिन हम अपने को खुशहाल बना सकते हैं। इसमें मुकेश ॠषि, जरीना वहाब और मुश्ताक खान जैसे दिग्गज कलाकार हैं। इस फिल्म में अभिनेता पुनीत राज शर्मा और काव्या कश्यप नायक और नायिका के रूप में डेब्यू कर रहे हैं। तोशी साबरी ने, जो ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’, ‘हाउसफुल-३’ और ‘प्यार का पंचनामा-२’ में अपने हिट म्यूजिकल नंबरों के लिए जाने जाते हैं, इस फिल्म का संगीत तैयार किया है।

फिल्म की खास बात यह है कि यह फिल्म हिंदी भाषा में होगी। iLEAD मीडिया संस्थान ने कॉलेज के विद्यार्थियों को इसका हिस्सा बनने के लिए चुना है। विद्यार्थियों के लिए यह फिल्म निर्माण की कला और हिंदी फिल्म उद्योग का अनुभव प्राप्त करने का सुनहरा अवसर हैं।

एक परिचर्चा में मौलाना अबुल कलाम आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के कुलपति डॉ.सैकत मैत्रा ने iLEAD के प्रयासों पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हमारे विद्यार्थियों को फिल्म के बारे में सीखने और कुछ हासिल करने का अवसर देने के लिए iLEADकी यह एक अनूठी पहल है।

iLEAD के अध्यक्ष प्रदीप चोपड़ा ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा कि भारत के संपूर्ण रचनात्मक उद्योग, चाहे वह फिल्म निर्माण हो या एनीमेशन, पटकथा लेखन, संगीत, पोषाक, डिजाइनिंग, इन सभी क्षेत्रों में बंगाल के लोगों का वर्चस्व है। हालांकि बंगाल इस उद्योग में एक महत्वपूर्ण भूमिका में नजर नहीं आता। इसका कारण पर्याप्त संसाधन के अभाव के अलावा उद्यमशीलता की भावना की कमी है, नेतृत्व और जोखिम लेने की भूख में कमी है।यह एक अंतर है जिसे हम भरना चाहते हैं। हम इस क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। इस योजना में हम विद्यार्थियों को शामिल करना चाहते हैं, क्योंकि वे अत्यंत प्रतिभाशाली है।हमारा लक्ष्य कोलकाता को एक अच्छा प्रोडक्शन सेंटर, फिल्म का हब बनाना भी है।

भारतीय भाषा परिषद में पुनर्मिलन और काव्य संध्या

कोरोना काल के लगभग पौने 2 दो साल बाद भारतीय भाषा परिषद ने अपने सभागार में एक कार्यक्रम ‘पुनर्मिलन’ और ‘काव्य संध्या’ के रूप में आयोजित किया।सभा के आरंभ में कोलकाता के वरिष्ठ लेखक श्रीनिवास शर्मा के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की गई। इसके बाद ‘डॉ.कुसुम खेमानी की कहानियां’ पर एक वीडियो लॉन्च किया गया। मंत्री डॉ.केयूर मजमुदार ने जानकारी दी कि डॉ.कुसुम खेमानी की कहानियों को जल्द ही ऑडियो-वीडियो फॉर्मेट में उपलब्ध कराया  जाएगा।

कार्यक्रम का उद्बोधन वक्तव्य देते हुए परिषद अध्यक्ष डॉ.कुसुम खेमानी ने कहा कि हम आज परिषद के सभागार में लंबे समय बाद मिल रहे हैं। आशा है,  लेखक,  साहित्य-प्रेमी पाठक और विद्यार्थीगण परिषद का पूरा लाभ उठाएंगे और साहित्य का यह आंगन पहले की तरह जगमग करेगा। उन्होंने कहा कि इस बीच परिषद पुस्तकालय वातानुकूलित और नई सुविधाओं से युक्त हुआ है। परिषद जल्दी ही नीचे बुक कैफे खोलने जा रही है जहां विभिन्न प्रकाशनों की किताबें उपलब्ध होंगी। हमारी नई कार्यकारिणी इसके लिए बधाई की पात्र है।

प्रो.संजय जायसवाल ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि समाज में मानवता की भावनाओं को मजबूत करने में साहित्य की बड़ी भूमिका है और नई पीढ़ी में साहित्य और मातृभाषा से प्रेम पैदा करना होगा।

काव्य संध्या में दिल्ली से आए वरिष्ठ गज़लकार विनोद शलभ उपस्थित थे।इनके अलावा प्रियंकर पालीवाल, आशुतोष, सेराज खान बातिश, मंजू श्रीवास्ताव, अभिज्ञात, शुभ्रा उपाध्याय, राज्यवर्द्धन, सुशील कान्ति, आनंद गुप्ता, रचना सरण, पूनम सोनछात्रा, मनीषा गुप्ता, मधु सिंह, सूर्यदेव राय और राजेश सिंह ने अपनी कविताओं का पाठ किया और श्रोताओं को काव्यमय किया।

काव्य संध्या की अध्यक्षता कर रहे परिषद के निदेशक डॉ.शंभुनाथ ने कहा कि कवि समाज की सांस्कृतिक आंख होते हैं और जो समाज कवियों और साहित्यकारों की उपेक्षा करता है, उसे अंधा होने में देर नहीं लगती। परिषद के मंत्री केयुर मजमूदार ने धन्यवाद।

प्रस्तुति : सुशील कान्ति

कविता संग्रह अंतस की खुरचनपर चर्चा

नीलांबर द्वारा यतीश कुमार के कविता संग्रह ‘अंतस की खुरचन’ पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कथाकार-समीक्षक राकेश बिहारी ने कहा कि यतीश की कविता बाहर से भीतर की यात्रा करती है। कवि नीलकमल ने ‘अंतस की खुरचन’ में कई अच्छी कविताओं को रेखांकित किया।प्रियंकर पालीवाल ने यतीश की कविताओं में शब्दों की अर्थध्वनियों पर चर्चा की। आशुतोष सिंह ने कहा कि अन्तस को खुरचना कठिन होता है और यह तभी संभव है जब कवि खुद ईमानदार हो।मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि यतीश कुमार की कविता नवीनता से भरी हुई है।अध्यक्षीय भाषण में प्रो.शंभुनाथ ने कहा कि इस संग्रह की कविताओं का मूल स्वर प्रेम है और अंतस जितना बड़ा होता है, प्रेम और कविताओं को भी उतना व्यापक अर्थ मिलता है।इस संग्रह की कविताओं पर आधारित कविता कोलाज की प्रस्तुति की गई।

मंटो की कहानियों पर आधारित नाटक का मंचन

मंटो की दो कहानियों- ‘टोबा टेक सिंह’ और ‘खोल दो’ तथा मंटो के जीवन पर आधारित नाटक का रिनेसां ग्रुप द्वारा पिछले दिनों कोलकाता में मंचन हुआ।इसने दर्शकों को अपने प्रभाव में बांध लिया। नाटक के अभिनेताओं की संवाद-अदायगी, आंगिक अभिनय ने मन को मोह लिया। आज आजादी के ७५ वर्ष बाद भी स्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं है, इंसानियत से ज्यादा धार्मिक पहचान ही अहमियत रखती है। नाटक के निर्देशक आलोक चक्रवर्ती, संगीत दे रहे अधीर गांगुली और विश्वजीत विश्वास सहित तमाम कलाकारों और बैक स्टेज में काम कर रहे तमाम लोग धन्यवाद के पात्र हैं।

प्रस्तुति : सुशील कान्ति