वर्तमान में एम. फिल. के लिए शोधरत। रचनाकारों की सृजनधर्मिताशीर्षक साझा शोधपरक पुस्तक में लेखन।

सवाल की तरह होना

मेरे मन के अंदर
अनेक प्रश्न मौजूद हैं
जिनका दरवाजा
जंगल की ओर खुलता है
वहां हैं खूंखार बाघ, रीछ और तेंदुए घात लगाए
जैसे ही कोई प्रश्न दरवाजे के बाहर आए
उस पर हमले होते हैं
उसे लहूलुहान करदिया जाता है
व्यक्ति का सवाल की तरह होना
सबसे खतरनाक है
जितने सवाल होंगे
उतनी हत्याएं होंगी!

मनुष्य को उसकी विशेषताओं में ढूंढने की जरूरत है

क्या बिस्तर के बाहर भी खोलकर
देखा है तुमने मेरा मन
गृहस्थी के बाहर भी तो है मेरी एक दुनिया
जैसे मेरी मांग के सिंदूर के नीचे
हमारा रिश्ता मौजूद है
चूड़ियों के भीतर लाल रंग है
वह सिर्फ कांच नहीं है
माथे की बिंदी याद दिलाती है
मेरे पत्नी होने की!
क्या वीर्य गिरने के बाद भी
तुमने मुझे बाहों में भरने की चाह रखी है
क्या कभी इन हाथों को यूं ही बेवजह चूमा है
जो वर्षों से चूल्हे में रोटियां सेंकते आ रहे हैं
यह जो हाथ तुम देखते हो
वह भी यथार्थ का एक हिस्सा है
ये वर्तमान को इतिहास की तरह नहीं लिखना चाहते
यदि लिखना भी चाहें
राजसत्ता और पुरुषसत्ता के विरुद्ध
जैसे मीरा का इतिहास रहा है
लिख नहीं पाते
औरत सिर से लेकर पांव तक
लाल रंगों का ही परिदृश्य है
उसकी मांग का सिंदूर लाल है
बिंदी लाल है
शादी में पहनी हुई साड़ी लाल है
पैरों का महावर लाल है
इनमें अनेक आवाजें छिपी हैं
वे व्याकरण में मौन हैं!
हम अपने ही भीतर देखना चाहते हैं
औरत की प्रत्येक छवि
उसकी आंखें बाहर की दुनिया की जगह
अंदर खींची हैं हमने
हमारी आंखें कामशास्त्र के पहले अध्याय के
पहले फटे पृष्ठ की तरह हैं
जहां शब्दों का हमारे लिए कोई महत्व नहीं है
जिसे हम खोलकर देखने के आदी हैं
आदमी के लिए औरत
मांग का सिंदूर, माथे की बिंदी, हाथों की चूड़ियां पैरों का महावर
और बिस्तर के अंदर होने तक का अहसास है
जबकि औरत है इनके बाहर
अपनी विशेषताओं में!

मैं तुम्हारे हुनर को समझता हूँ

पिंजरे में कैद पंछियो
मैं तुम्हारे हुनर को समझता हूँ
तुम्हारी लंबी उड़ानें
छिपा लेती हैं अपने पंखों के बीच
आसमान के नीले रंग को
सिर्फ तुम ही जानते हो
इस धरती पर घोंसला बनाने की महीन कला को
उसमें जन्मते हैं तुम्हारे बच्चे
मैं चाहता हूँ
तुम कई शताब्दियों तक बनाते रहो घोंसले
मैं कर रहा हूँ तुम्हें आजाद।

चकमक पत्थर

आदिवासी जनजातियों ने बचाए हुए हैं
चकमक पत्थर
उन्हें पता है
जब दुनिया में
आग जलाने के तमाम तरीके
खत्म हो जाएंगे
इन्हीं पत्थरों की खोज करके
लोग आग जलाना सीखेंगे!

संपर्क : गांव : कड़ियाना, डाकघर : लाना पालर, तहसील : संगड़ाह, जिला : सिरमौर 173023 (हिमाचल प्रदेशमो. 8580715221