युवा कवयित्री।गज़ल संग्रह– ‘चाँद आएगा जमीन पर’।
सिसकते मेघ के अश्कों में फिर डूबी ग़ज़ल कोई
बिखर के रात के औराक़ पे रोई ग़ज़ल कोई
पलटकर देख लेना तुम किसी दिन टूटे जब रिश्ता
ठहरकर सोचना पल भर, कहां रोई ग़ज़ल कोई
बिछा दो फूल राहों में, ग़ज़ल के पांव हैं नाज़ुक
चुभेंगे पांव में कांटे तो रो देगी ग़ज़ल कोई
न जाने कैसा जादू है, छुआ तुमने ग़ज़ल को और
तेरी बांहों में आई तो बहुत निखरी ग़ज़ल कोई
कभी बन रेत का दरिया, कभी शबनम कभी शोला
रुलाती है, भिगाती है, जलाती है ग़ज़ल कोई।
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