युवा लेखक और कवि।संप्रति अध्ययनरत।

नाज़िम हिकमत

(1902-1963) विश्व प्रसिद्ध तुर्की कवि और गद्यकार।जीवन के कई वर्ष जेल में बिताए।स्वतंत्रता के पक्ष में बोलने वाले एक प्रमुख व्यक्तित्व।

आज़ादी का दुख

तुम देखकर भी नजरअंदाज करते हो
अपने हाथों की करिश्माई मेहनत
आटे की गुथाई
जिससे तैयार होती हैं ढेर सारी रोटियां
जिनका नहीं मिलने वाला है तुम्हें एक भी निवाला
तुम आजाद हो गुलामी के लिए
अमीरों को अमीरी देने के लिए आजाद हो
जब तुम जन्मे
तुम्हारे पास बिठा दी गईं चक्कियां
चक्कियां जिनमें पिसे जाने लगे झूठ
झूठ जो मरते दम तक रहे तुम्हारे साथ
तुम अपनी आलीशान आजादी का
दंभ भर सकते हो
और सोच सकते हो कि
तुम्हारे पास स्वतंत्र विवेक है
तुम्हारा सिर ऐसे झुका है
मानो गर्दन से आधा कट चुका हो
तुम्हारे लंबे हाथ झूल गए हैं
तुम चल-फिर रहे हो आजादी से
और सोचते हो कि आजाद हो
आज़ाद हो तुम
बेरोजगार होने के लिए
तुम अपने देश से प्रेम करते हो
जैसे यह तुम्हारे लिए सबसे कीमती चीज है
लेकिन एक दिन ऐसा हो सकता है
इसे अमरीका के आगे परोस दिया जाए
साथ ही तुम्हें भी
तुम्हारी इस आलीशान आज़ादी के साथ
तुम दावा कर सकते हो कि
आजाद हो बनने के लिए उनकी हवाईपट्टी
यदि तुम्हें नहीं जीना है किसी का औजार बनकर
या एक संख्या बनकर
बल्कि जीना है इंसान बनकर
तो फिर हो सकता है
तुम्हारे हाथों में वे हथकड़ियां डाल दें
तुम आजाद हो गिरफ्तार होने
कैदी होने
यहां तक कि फांसी पर झूलने के लिए
तुम्हारे जीवन में
न लोहे का
न लकड़ी का
और न मखमली पर्दा टंगा है
तुम्हें आजादी चुनने की जरूरत महसूस नहीं होती
क्योंकि तुम समझते हो कि
तुम आज़ाद हो
पर ऐसी आज़ादी
इन उजले तारों के नीचे बहुत दुखद है।

लैंग्स्टन ह्यूज़

(1901-1967) अमेरिकी कवि, नाटककार और पत्रकार।जॉज कविता आंदोलन और हार्लेम रिनेसां के प्रमुख प्रवक्ता।

लोकतंत्र

समझौता तथा भय की नींव पर
नहीं आ सकता हर्गिज लोकतंत्र
आज, कल या कभी भी
अपनी जमीन के लिए
अपने दोनों पैरों पर खड़े होने का
मेरे पास उतना ही अधिकार है
जितना मेरे साथियों को है
मैं लोगों से यह सुन-सुनकर थक चुका हूं
समय के साथ सब खुद ठीक हो जाएगा
कल एक और नया दिन है
नहीं चाहिए स्वतंत्रता मुझे मरणोपरांत
मैं भविष्य की रोटी पर नहीं जी सकता
स्वतंत्रता
मिट्टी में बोया क्रांतिकारी बीज है
आखिर मैं भी यहीं रहता हूँ
आजादी चाहता हूँ
जिस तरह आप आजाद हैं।

वाल्टर विलियम सैफ़र

(1958-) अमेरिकी कवि और गद्यकार।

सुंदर संसार

मैं ऐसे संसार मे जीना चाहता हूँ
जहां सभी को स्वतंत्रता पाने का अधिकार हो
ठीक जैसे
बिना दो आंखों के भी
क्रांतिकारी भाव से स्वतंत्रता को देखते हुए
सुंदर प्रभात होता है
मैं ऐसे संसार मे जीना चाहता हूँ
जहां किसी श्रीमान राजनेता के आगे
नाचना न पड़े
और न उसके चाटुकारों के आगे
मैं ऐसे संसार में जीना चाहता हूँ
जहां हजारों षड्यंत्रकारियों शोषकों-दमनकारियों
और जनता के खिलाफ
झूठी विध्वंसक नीतियों को लाने वाले
बरसाती क्रूर नेताओं की जगह
देख सकूं प्रेम से भरे सभी लोगों को
अपनी-अपनी राह पर कदम बढ़ाते
निष्ठा और आत्मविश्वास से लबालब भरे हुए
मैं ऐसे संसार में जीना चाहता हूँ
जहां स्वप्न शर्मिंदगी का नहीं गौरव का प्रतीक हो
जहां मानव समाज में किसी के भी महत्व पर
पुनर्विचार की आवश्यकता न हो
बल्कि यह उसका जन्मसिद्ध अधिकार हो
मैं ऐसे संसार मे जीना चाहता हूँ
जहां एकबार छीमी मटर खाने के लिए
लोगों को तरसना न पड़े
जहां भोजन कुछ के लिए मिथ्या अहंकार
और कुछ के लिए महज कल्पना न हो
मैं एक ऐसे संसार मे जीना चाहता हूँ
जहां झूठा दिखावा न हो
मानवता ने दिखावा पर विश्वास खो दिया है
मैं ऐसे संसार मे जीना चाहता हूँ
जहां ऊंचे आदर्श हों
विश्वास और मानवता हमराही हों
और पूजा-प्रार्थना की आवश्यकता नहीं हो!

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