अनुवादक – मंजु श्रीवास्तव आकाशवाणी में उद्घोषणा के कार्य।कविता संग्रह : ‘हजार हाथ’।बांग्ला और अंग्रेजी से कई रचनाओं का अनुवाद। |
पॉल एलुआर
(१८९५–१९५२) फ्रेंच कवि।सुरियलिस्ट आंदोलन के प्रतिष्ठाता।
आजादी
अपनी स्कूली किताबों पर
अपने स्कूल डेस्क पर
और पेड़ों पर
बालू पर और बर्फ पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
पढ़े हुए सारे पृष्ठों पर
पढ़ने से रह गए पृष्ठों पर
रक्त प्रस्तर, कागज और राख पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
स्वर्णिम तस्वीरों पर
योद्धाओं के अस्त्रों पर
सम्राटों के ताजों पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
जंगलों पर
रेगिस्तानों पर
घोंसलों पर
झाड़ियों पर
अपने बचपन की प्रतिध्वनियों पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
रातों के आश्चर्यों पर
दिन की सफेद रोटी पर
मिलन मौसमों पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
अपने सभी आसमानी रंग के चीथड़ों पर
ताल पर
झील से झांकते सूरज चांद पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
क्षितिज के मैदानों पर
चिड़ियों के पंखों पर
स्मृतियों की पवनचक्कियों पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
भोर के ताजे श्वास पर
समुद्र पर, नावों पर
विक्षिप्त पहाड़ों पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
बादलों के झाग पर
तूफानों के पसीने पर
बेस्वाद भारी बारिश पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
टिमटिमाते तमाम रूपों पर
रंगों की घंटियों पर
प्रकट सत्य पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
जगे हुए पथ पर
पसरी हुई सड़कों पर
उमड़ रहे चौराहों पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
जल गए दीपों पर
बुझ रहे दीपों पर
अपने में सिमटे घरों पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
दो फांक कटे फलों पर
आईने पर और मेरे कमरे पर
मेरे बिस्तर पर
खाली छिलकों पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
अपने भोजन पर
प्यारे मासूम कुत्ते पर
उसके बांके कानों पर
उसके अजीब से पंजों पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
द्वार के स्प्रिंगबोर्ड पर
तमाम जानी पहचानी वस्तुओं पर
पवित्र अग्नि के प्रवाह पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
दिए गए किसी मांस पर
दोस्त के मस्तक पर
बढ़ाए गए हर हाथ पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
आश्चर्यों के झरोखों
उनके शीशों पर
सावधान अधरों पर
मौन के ठीक ऊपर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
अपने टूटे फूटे संकेत-दीप पर
अपनी बोरियत की दीवारों पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
अपने नष्ट आश्रय स्थलों पर
अनुपस्थिति पर
अनिच्छा से नंगे एकाकीपन पर
मौत की सीढ़ियों पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
वापस मिले स्वास्थ्य पर
दूर भगाए खतरे पर
स्मृतिविहीन आशा पर
मैं तुम्हारा नाम लिखता हूँ
एक शब्द की ताकत से
मैं अपना जीवन फिर से
शुरू करता हूँ
वह है आजादी
आजादी –
मेरा जन्म हुआ था
तुम्हें जानने के लिए
तुम्हें नाम देने के लिए।
मंजु श्रीवास्तव, सी–११.३, एनबीसीसी विबज्योर टावर्स, न्यू टाउन, कोलकाता–७००१५६ मो.९६७४९८६४९५