युवा कवयित्री।बीए, एल एलबी की छात्रा।

साधु ग्रंथ लिखेंगे
कवि कविता लिखेगा
लिखे जाएंगे कई किस्से कहानियां
पर कोई लिखने नहीं आएगा
मेरी ममता
मौलाना नमाज़ पढ़ेंगे
पंडित बजाएंगे मंदिर के घंटे
पादरी भी पढ़ेंगे प्रार्थना
मगर कोई बचाने नहीं आएगा
मेरी कोमल जान

प्रेमी देखेगा प्रेमिका की तस्वीर
पंडित देखेगा पत्थर में भगवान
पाने की चाहत में
मैं निहार के थक जाऊंगी तुम्हें
पर तुम आओगे नहीं लौट कर
तुम बह रहे हो जिस झील में
उसका पानी मेरे पास है
रह रह कर उफान आते हैं
कभी गाल से कान तक
मैं पंख सिल रही हूँ
तुम तक पहुंच सकेगी या नहीं
मेरी यह लोरी सुन लेना तुम
कोशिश आज रात भी तुम्हें सुलाने की है
बस फर्क है कि
आज लोरी है और गोद भी
पर सुनने वाले
चल दिए हैं उस पार।

संपर्क : मणि भवन, संकट मोचन नगर, आरा८०२३०१ बिहार, मो.७६५१९०८३२३