युवा कवि।सहायक प्राध्यापक, मानविकी और समाज विज्ञान संकाय, आईआईटी मंडी।

खतरा है

जिनको खतरा है, उनसे खतरा है
खतरा है झूठ को बढ़ती हुई नाक से
खतरा है अहं को हृदय की माप से
पत्थर को मत्थे से
भीड़ को निहत्थे से खतरा है
खतरा है

जिनको खतरा है, उनसे खतरा है
बरहना लाशों से खतरा है कफनों को
जलती चिताओं से खतरा है ज़हनों को
पेड़ों से जंगल को
मौसम से मंगल को खतरा है

जिनको खतरा है, उनसे खतरा है
खतरा है अट्टहास को आस से
खतरा है सभ्यता को इतिहास से
धर्म को विश्वास से
रुई को कपास से खतरा है

जिनको खतरा है, उनसे खतरा है
भाषा से व्याकरण को खतरा है
चरित्र को आचरण से खतरा है
आमरण को मरण से
हरण को भरण से
लहर को संतरण से खतरा है

जिनको खतरा है, उनसे खतरा है
खतरा है आत्म-निर्भरता को आत्म से
खतरा है आस्था को अध्यात्म से
राख को अबीर से

नाथ को कबीर से खतरा है
जिनको खतरा, उनसे खतरा है

अधिनायक को जन से खतरा है
काफिले को प्रदर्शन से खतरा है
बुलेट-प्रूफ को नारों से
जुमलों को चीख-पुकारों से
कामना को तन से, बात को मन से खतरा है

जिनको खतरा है, उनसे खतरा है

कर्मयोगियों को कर्म से खतरा है
बंधुत्व को चर्म से खतरा है
रीति को रिवाज से
मुखौटे को मिजाज से
समता को समाज से
आंधियों को कणों से
शिव को गणों से
नखरे को कर्तव्य से
वक्तव्य को मंतव्य से
कल को आज से
गले को आवाज से
सड़क को नमाज से खतरा है
जिनको खतरा है, उनसे खतरा है।

संपर्क : ऑफिस संख्या ३२५, तीसरा तल, केंद्रीय परिसर, स्कूल ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंसेज़, अहमदाबाद विश्वविद्यालय, कॉमर्स सिक्स रोड्स, अहमदाबाद३८०००९, गुजरात मो. ९८७३९९४५५६