भारतीय भाषा परिषद कोलकाता में भारतीय भाषाओं की साहित्यिक विरासत को समृद्ध करने के उद्देश्य से 1975 में स्थापित हुई थी। यह अपने भवन 36ए, शेक्सपियर सरणी, कोलकाता 700017 में 1979 में स्थानांतरित हुई। इसके संस्थापकों में प्रमुख थे सीताराम सेकसरिया और भागीरथ कानोड़िया। इस गैर-सरकारी संस्थान ने अपनी स्थापना के समय से ही राष्ट्रीय अखंडता, बहुलतावादी संस्कृति और सभी भाषाओं के साहित्य की सृजनशीलता को प्रोत्साहित करना अपना मुख्य लक्ष्य बना रखा है। आज भारतीय भाषा परिषद देश की एक अग्रणी साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था के रूप में जानी जाती है। यह भारत की एक अनोखी संस्था है, जो आत्मनिर्भर है और विभिन्न दिशाओं में सक्रिय रहते हुए हिंदी के विकास के साथ भारतीय भाषाओं के बीच संवाद के लिए लगातार सक्रिय है। निजी क्षेत्र से साहित्यिक कार्यों के लिए ऐसी व्यवस्था और साल भर नियमित गतिविधियाँ फिलहाल अन्यत्र कहीं नहीं है। परिषद के संस्थापकों ने अपनी दूरदर्शिता से इस संस्था को स्वावलंबी बनाया है।

हिंदी की लोकप्रिय साहित्यिक पत्रिका

भारतीय भाषा परिषद की मासिक पत्रिका वागर्थ हिंदी की सर्वश्रेष्ठ पत्रिकाओं में एक है। इसका प्रकाशन 1995 से नियमित रूप से हो रहा है। अक्टूबर 2020 तक इसके 300 अंक प्रकाशित हो चुके हैं। यह पत्रिका विभिन्न साहित्यिक विधाओं की उत्कृष्ट रचनाएं प्रकाशित करती हैं। यह हिंदी के वरिष्ठ लेखकों के अलावा नई पीढ़ी के लेखकों की भी अपनी पत्रिका है। वागर्थ पत्रिका देश के विभिन्न शहरों में 60 से अधिक बुक स्टालों पर जाती है। इसके वार्षिक ग्राहकों की संख्या करीब 1 हजार है।
विशेष जानकारी : 7449503734  ईमेल : vagarth.hindi@gmail.com