सरकारी सेवा से निवृति के बाद स्वतंत्र लेखन।दो उपन्यास, चार कहानी संग्रह, एक गजल संग्रह, एक कविता संग्रह सहित कुल पैंतीस पुस्तकें प्रकाशित।

हो के कामयाब भी थोड़ी सी नादानी रखना
दिल में मोहब्बत रखना, आंख में पानी रखना

वक्त चारासाज है वो जख्म सभी भर देगा
हो सके बचा के कोई टीस पुरानी रखना

मुश्किलों के दौर से हर हाल पार पाना है
तन को सहेजे रखना, मन में जवानी रखना

जिंदगी का अर्थ चमन है सदा चलते रहना
ताजगी हवा की, लहरों की रवानी रखना

यूं तो इस जहां में किसे कौन याद रखता है
फिर भी तसल्ली के लिए कोई निशानी रखना।

संपर्क : त्रिवेणी निवास, सी, एचपार्क महानगर, लखनऊ२२६००६, मो. ९४१५२१५१३९